पितरों को देवताओं के समान माना गया है। पितरों के खुश होने पर देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। देव, ऋषि और पितृ ऋण के निवारण के लिए श्राद्ध कर्म सबसे आसान उपाय है। पूर्वजों का स्मरण करने और उनके मार्ग पर चलने और सुख-शांति की कामना करने को ही श्राद्ध कर्म कहते हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। पितरों के प्रसन्न होने से घर में सुख शांति आती है। मान्यता है कि जिन प्राणियों की मृत्यु के पश्चात उनका विधिनुसार श्राद्ध नहीं किया जाता है उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती। पितृ पक्ष के दौरान पितृ तर्पण जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि ब्राह्मणों द्वारा ग्रहण किया भोजन सीधा पितरों तक जाता है और उनकी आत्मा को संतुष्ट करता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ब्राह्मणों के साथ वायु रूप में पितृ भी भोजन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मणों द्वारा किया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है। पितृ पक्ष में दिन की शुरुआत पितरों की तस्वीर को प्रणाम करने के साथ करें। पितरों की जयंती और बरसी हमेशा याद रखें। पितरों को प्रसन्न करने के लिए दान का विशेष महत्व है। पितरों की प्रसन्नता के लिए उनके नाम पर प्याऊ बनवाएं। श्राद्ध पक्ष में घर में गीता का पाठ कराएं। श्राद्ध पक्ष में पितरों की उपासना के लिए काले तिल का उपयोग किया जाता है। काला तिल प्रभु श्री विष्णु को बेहद प्रिय है। श्राद्ध पक्ष में किसी भी दान को देते वक़्त हाथ में काला तिल होना चाहिए। पितृ पक्ष में गुड़ तथा नमक का दान अवश्य करना चाहिए। पितृपक्ष में घर का मुख्य द्वार हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। हर रोज मुख्य द्वार पर जल देना चाहिए। श्राद्ध के 16 दिनों में अष्टमुखी रुद्राक्ष धारण करें। इन दिनों में घर में 16 या 21 मोर पंख अवश्य लाएं। श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें। श्राद्ध के दिनों में घर में प्रतिदिन खीर बनाएं। भोजन में से सर्वप्रथम गाय, कुत्ते और कौए के लिए ग्रास अलग से निकालें। श्राद्ध पक्ष में व्यसनों से दूर रहें। श्राद्ध के भोजन में बेसन का प्रयोग न करें। जरूरतमंद की सहायता कर सकें तो बहुत पुण्य प्राप्त होता है। श्राद्ध का समय दोपहर में उपयुक्त माना गया है। रात्रि में श्राद्ध नहीं किया जाता। गंगा किनारे श्राद्ध कर्म करना चाहिए। श्राद्ध के दिनों में पेड़-पौधे लगाने से शुभ फलों में वृद्धि होती है।
पितृपक्ष में करें यह उपाय, पितर होंगे प्रसन्न
- Post author:vastu class
- Post published:September 30, 2021
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