ऊर्जा के प्रवाह को रोशनी, हवा और पानी के बहाव से देखें , ऊर्जा का प्रवाह पूर्व से दक्षिण पश्चिम को होता हुआ उत्तर व उत्तर ईशान में आता है !
वास्तु में भी ग्रहों को वही स्थान दिए गए हैं जैसी उनकी ऊर्जा है। वास्तु में भी पूर्व सूर्य के पास है। यह तेजोमय है। उत्तर पूर्व पर गुरु का अधिकार है। यह सकारात्मक और तेज है। उत्तर पर बुध का अधिकार है। यह रचनात्मक और सक्रिय है। उत्तर पश्चिम पर चंद्रमा का अधिकार है। यह रचनात्मक लेकिन अधिक विचार करने वाला है। पश्चिम पर शनि का अधिकार है। यह नकारात्मक और धीमा है। दक्षिण पश्चिम पर राहू का अधिकार है। यह नकारात्मक और रहस्य समेटे हुए है। दक्षिण पर मंगल का राज है। यह उग्र और दाह शक्ति देने वाला है। दक्षिण पूर्व पर शुक्र का राज है। यह उष्ण और तेजयुक्त है। ऊर्जा के हिसाब से ही हम उसे काम में लें तो अधिकतम परिणाम हासिल होंगे