वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि आपकी दुकान या शोरूम की आंतरिक और बाहरी वास्तु व्यवस्था होती है तब अवश्य ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। वास्तु का सिद्धांत जीवन के सभी क्षेत्रों में लागू होता है। वह स्थान जहाँ जाकर हम प्रत्येक दिन काम करते है उस स्थान का वास्तु तो बहुत जरूरी है।
मकान हो या दूकान सभी जगह पंचतत्त्वों की उपस्थिति होती है। पंचतत्त्वों का स्थान विशेष में सामंजस्य ही तो वास्तु विज्ञान है । अत: स्पष्ट है कि वास्तु के सिद्धांत सिर्फ घर को ही नहीं अपितु दुकान आदि को भी प्रभावित करते हैं।
लेकिन ज्यादातर वास्तुविद यह गलती करते हैं कि घर के वास्तु और दुकान शोरूम के वास्तु को एक ही नियमावली में लेकर चलते हैं जबकि यह इनका वास्तु घर के वास्तु से लगभग अलग होता है
दुकान में भी वास्तु का विशेष महत्व तो होता ही है। इस बात को झूठ लाया नहीं जा सकता यदि आपकी दुकान वास्तु सम्मत है तो हर दृष्टि से शुभ परिणाम देती है।
कई बार यह देखने में आया है कि मुख्य बाज़ार में दूकान होने के बावजूद बिक्री उतनी नहीं हो पाती है जितनी होनी चाहिए। इसका मुख्य कारण है आपके दूकान में वास्तु सम्मत दोष का होना। इसके बनावट के वास्तु से भी ज्यादा इसकी जमीनी उर्जा ज्यादा महत्वपूर्ण मानी गई है
एक बार मेरे मित्र मेरे पास आए और बोले कुछ दिन पहले मेरा दूकान बहुत अच्छा चल रहा था परन्तु जब से मैंने अपनी दुकान की आंतरिक सज्जा दोबारा करवाई है मेरी दूकान की बिक्री बहुत ही घट गई है। जब मैं उस दूकान की वास्तु देखने गया तो देखता हूँ कि दूकान के अंदर वायु की व्यवस्था और रोशनी की व्यवस्था बिल्कुल भी सही नहीं थी वायव्य कौन को लकड़ी की फिटिंग से एक तरह से कुछ काट दिया था
जिस दिशा का सहयोग व बिक्री के साथ विशेष संबंध होता है मैं कुछ दिनों के लिए एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कुछ समय के लिए सूरत में था जिस दौरान वह मेरे शहर के एक वास्तु सलाहकार से भी मिला
और उसने उसको सलाह दी उत्तर पश्चिम कोण में हल्का सामान रखो और भी कई बातें जो घर के वास्तु से ज्यादा संबंध रखती थी
और इस बेचारे ने वह सब परिवर्तन भी किए जो उस वास्तु विद ने इसको बताएं
मैं वास्तुविद को ज्यादा गलत नहीं मानूंगा क्योंकि आजकल के माहौल में घर और दुकान के वास्तु के नियमों को लगभग एक जैसा ही बताया जा रहा है जबकि यह बिल्कुल गलत है खैर इसके बाद मैंने उससे कई प्रकार के परिवर्तन करवाएं और अयादि नियमों का भी पालन करवाया उत्तर पश्चिम कोण जो लक्कड़ की फिटिंग में कट गया था उसको भी दुरुस्त करवाया
इसी बीच उसने कई प्रश्न मुझसे पूछे और मैंने उसको उसके प्रश्न अनुसार कुछ बातें उसे समझाएं कि मेरे अनुज दुकान और शोरूम में कोई भी चीज ऐसी नहीं होती जिसे नहीं बेचना होता हर चीज बेचने वाली होती है हां लाभ की बात थोड़ा अलग हो सकती है कि किसी वस्तु में लाभ ज्यादा और किसी में कम लेकिन दुकान और शोरूम में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है जिसे दुकानदार बेचना नहीं चाहता तो इसीलिए घर के नियमों को इन पर लागू नहीं किया जा सकता है और जो दुकान और शोरूम के लिए विशेष नियम है वह मैं आप से करवा रहा हूं श्रद्धा भाव से इन्हें पूरा पालन करो निश्चित ही आपकी बिक्री बढ़ेगी
उसके बाद जैसे ही दुकान की आन्तरिक बाहरी व्यवस्था वास्तु सम्मत की गई तब कुछ दिनों के बाद उनका फोन आया कि अब सब कुछ ठीक चल रहा है बिक्री बढ़ गई है और आशा है कि आगे भी बढ़ोतरी होती रहेगी।
दुकान में आप स्वयं नीचे लिखे सामान्य वास्तु नियमों का पालन करके मनोवांछित लाभ ले सकते हैं।
इसके अतिरिक्त भी इनकी पालना के बावजूद भी यदि आपको लाभ नहीं मिल रहे हैं तो हमसे जरूर संपर्क करें
दूकान के लिए महत्त्वपूर्ण वास्तु सलाह
दुकान आकार वर्गाकार अथवा आयताकार होने से आर्थिक वृद्धि होती है।
बाघमुखी अथवा सिंहमुखी दूकान निश्चित ही अधिक लाभ देती है पर जिस दूकान के पीछे का भाग संकरा तथा आगे का भाग चौड़ा हो वह भी सिंहमुखी कहलाती है और दुकान का यह आकार अत्यंत ही शुभफल प्रदान करने वाला होता है। पर साथ ही कई प्रकार की जीवन में असहजता भी पैदा करता है
कुछ दुकान अर्थात जिस दूकान के आगे का भाग कम चौड़ा हो तथा पीछे का भाग अधिक चौड़ा हो इन्हें 99% लोग गौमुखी कहते हैं जबकि यह गोमुखी नहीं होती प्रचलन में जरूर इन्हें गोमुखी बोला जाता है पर किसी भी स्थिति में यह दुकान के लिए लाभदायक नहीं है।
जल्द ही हम एक पोस्ट शेर मुखी और गोमुखी पर भी डालने वाले हैं जिससे आपको पूर्ण सुविधा प्राप्त हो और इसका वीडियो भी हमारे यूट्यूब चैनल पर आप सभी को मिल जाएगा
दूकान का फर्श पूरी तरह से संतुलित होना चाहिए
दुकान के ईशान कोण (Noth East direction) में कोई अधिक भारी वस्तु न रखें। इस स्थान को हो सके तो खाली रखें या जितना हो सके हल्का रखें। इस स्थान को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए।
दूकान में पीने के पानी की व्यवस्था उत्तर, ईशान कोण या पूर्व में रखें। ऐसा करने से दुकान में लक्ष्मी का लाभ होता है और धन लाभ होता है।
यह एक साधारण नियम है लेकिन दिशाओं के आधार पर ही पानी की व्यवस्था निश्चित की जाती है यदि आपकी दुकान या शोरूम दक्षिणमुखी है तो आप पानी को कदापि अंदर नहीं रखेंगे उसको आप निश्चित ही दक्षिण पूर्व में बाहर की ओर रखेंगे आपके लिए सहज रहेगा यदि आप अपने स्थान पर कोई पैंट्री इत्यादि बनाते हैं तो उसे आप उत्तर पश्चिम में में बना सकते हैं
दूकान में प्रयुक्त बिजली उपकरण जैसे – मीटर, स्विच बोर्ड, इनवर्टर इत्यादि आग्नेय कोण (East – South) में ही रखना चाहिए। यदि अन्य दिशा में रखते है तो । किसी तरह से कवर करवाएं
दुकान के ठीक सामने कोई बिजली या फोन का खंबा,पेड़ अथवा सीढ़ी नहीं होना चाहिए यदि है तो आर्थिक नुकसान होगा।
दुकान के अंदर समान रखने के लिए आलमारी, शो-केस, फर्नीचर आदि दक्षिण-पश्चिम , नैऋत्य में अधिक प्रबंध करें
दुकान में माल का स्टोर, या कोई भी वैसा सामान जिसका वजन ज्यादा हो उसे नैऋत्य कोण (दक्षिण या पश्चिम) में रखना चाहिए।पूजा के लिए मंदिर ईशान, उत्तर या पूर्व में बनाएं।
दुकान या शोरूम के मालिक को प्रथम संस्था अनुसार दक्षिण पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। ऐसा करने से आय में वृद्धि होती है। यह सुविधा आपको दो दिशाओं में मिलेगी और दो दिशाओं में नहीं मिलेगी पूर्व व उत्तर दिशा के शोरूम वे दुकान में कार्य के अनुसार ही गद्दी की जगह निश्चित की जा सकती है
मालिक या मैनेजर तथा तिजोरी की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए। यह व्यवसाय के वृद्धि के लिए अच्छा नहीं होता।
दुकान में काम करने वाले दुकानदार और कर्मचारी इस बात का ध्यान रखें की वह दूकान में बैठे तब उनका मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो इस दिशा में मुख करके बैठने से धन लाभ होता है। ऐसा करने से ग्राहक का दुकानदार और कर्मचारियों के मध्य बेहतर सम्बन्ध बना रहता है।
यदि आपकी दूकान में दूकानदार एवं कर्मचारी पश्चिम या दक्षिण की ओर मुख करके बैठते है तो सामान्यतः धन व्यय और कष्ट होता है।
दुकान की तिजोरी को पश्चिम या दक्षिण दीवार के सहारे रखना शुभ होता है जिससे उसका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
यदि दुकान में टीवी या कंप्यूटर रखना चाहते हैं, तो दक्षिणपूर्व दिशा सबसे शुभ है।
दुकान में क्या नहीं करना चाहिए |
नगद पेटी कभी खाली न रखें। दूकान में धन लाभ के लिए तिजोरी / कैश बाॅक्स में कुबेर यंत्र या श्रीयंत्र अवश्य रखें
गद्दी पर बैठकर न तो भोजन करें और न ही सोने का कष्ट करें।
नगद पेटिका या मेज पर पैर रखकर कभी भी नहीं बैठें।
दूकान के मालिक या कर्मचारी जब भी दान दें तो दक्षिण तथा पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके दान नहीं दे ऐसा करने से धन की हानि होती है।
दुकान खोलते समय तथा शाम को बिजली जलाने के बाद कभी भी दान नही देना चाहिए।कभी भी दान फेंककर न दें, साथ ही दान देते समय, धरती या आसमान की ओर नहीं देखना चाहिए।
दूकान सम्बन्धी समस्या और समाधान
दुकान की उत्तर या पूर्व दिशा में देवी लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति रखने व्यापार में लाभ होता है।दुकान में अपने कुल देवता अथवा इष्ट देवी / देवता की तस्वीर लगानी चाहिए।
दूकान के मालिक या कर्मचारी जब भी दान दें तो मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ करके ही दें ऐसा करने से धन लाभ होती है।
यदि आपकी दुकान में बरकत न हो रही है, तो गणेश जी की मूर्ति आपके नाम नक्षत्र अनुसार हम से तैयार करवा कर अपने मंदिर में लगाए। यह मूर्ति को अपने मंदिर में स्थान देने से आपके दुकान में शोरूम की ऊर्जा पूर्ण रूप से सकारात्मक हो जाएगी और निश्चित ही आपको लाभ प्राप्त होगा
यदि आपकी दुकान दक्षिण मुखी है तो पंचमुखी हनुमान जी की फोटो मुख्य दरवाजे के बाहर की ओर लगानी चाहिए।
यदि आपके व्यवसाय में कोई परेशानी आ रही हो तो प्रतिदिन श्री लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें साथ ही श्री नवग्रह वाटिका द्वारा बनाई गई धूनी का नित्य प्रयोग करके भी आप शीघ्र लाभ को प्राप्त कर सकते हैं धूनी प्राप्त करने के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं।
यदि सरकार के अधिकारियों के द्वारा आपको बेवजह परेशान किया जा रहा हो तो प्राण-प्रतिष्ठित सूर्य यंत्र लगाने से समस्याएं दूर हो जाती है।
यदि आप दुकान को लेकर शत्रु या गुण्डों से परेशान हो रहे है तो प्राण प्रतिष्ठित काली या बगुला मुखी यंत्र लगाने से लाभ मिलता है।
दुकान आपके लिए शुभ फल प्रदान करे इसके लिए दुकान के मुख्य प्रवेश द्वार के ऊपर प्राण-प्रतिष्ठित बीसा या चौतीसा यंत्र लगाना चाहिए
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