शुक्र ग्रह अर्थात स्त्री के स्थिर कारक
माँ महालक्ष्मी की “निःस्वार्थ निश्छल” भावना से पूजा अर्चना करने से या कोई भी माँ के स्वरूप की (संतोषी माँ नही) पूजा अर्चा करने से शुक्र ग्रह बलवान होते चले जाते है।
मनसा-वाचा-कर्मणा नन्ही से लेकर वयोवृद्ध किसी भी स्त्री को कष्ट ना पहुँचाना, अपमानित नही करना तथा पूर्ण आदर देने से शुक्र ग्रह प्रसन्न होते है तथा जीवन मे शुभ फल देने लगते है।
स्वयं की विधिवत विवाह संस्कारित धर्मपत्नी (धर्मपत्नियों) के अलावा अन्य स्त्रियों से संबंध रखने से तथा निरंतर रखने से शुक्र ग्रह अंत मे घोर कष्ट देते है। अतःएव केवल धर्मपत्नी के साथ ही संयमपूर्वक विहार करने से तथा प्रकृति के अनुसार आचरण करने से शुक्र ग्रह प्रसन्न रहते है तथा जीवन मे सकारात्मकता अवश्य लाते है।
किसी कन्या को विद्या अध्ययन में सहायता तथा पठन-पाठन सामग्री का दान दीजिए, किसी विवाहिता स्त्री को उनके पति समेत वस्त्र-फल-अन्न दान दीजिए, किसी वृद्धा-अशक्त स्त्री की यथाशक्ति सेवा-सुश्रुषा कीजिए! तन-मन-धन से की गई ये सेवा और दान से शुक्र ग्रह अत्यंत प्रसन्न है तथा बहुत शुभफल प्रदान करते है।
शुक्र अर्थात नैतिक ब्राह्मण-पवित्र बुद्धि-मार्गदर्शक-पथ प्रवर्तक!
गुरु प्रवृत्ति-मार्गदर्शकों-नैतिक व्यक्तियों का आदर करे-सम्मान करें एवं ऐसे शब्दों का प्रयोग करे जिससे उनके हृदय में प्रसन्नता हो। इससे शुक्र ग्रह बलवान होते है।
ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की बात तुरंत ना काटे-उनकी आज्ञा का तुरंत उल्लंघन ना करे-उनके बताए गए मार्ग का यथासंभव अनुसरण करें तो इससे भी शुक्र ग्रह को बल प्राप्त होता है।
सुंदर सजीले सफेद वस्त्रों का-शुद्ध सुगंधित इत्र का तथा दूध/दही/खीर जैसी सफेद भोजन की वस्तुओं का योग्य वेदपाठी ब्राह्मणों को शुक्रवार के दिन दान करे। ऐसे दान से शुक्र ग्रह की पीड़ा में बहुत कमी आती है।
शुक्र अर्थात कलाकार-चित्रकार-अभिनेता-वादक-गायक!
यथासंभव इन समस्त कलाकारों की कला जैसे गायक के गायन का-चितेरे के चित्रों का-नाट्यकार के अभिनय की हृदय खोलकर बिना कृपणता के प्रशंसा करे। विश्वास मनिय सच्चे मन से की गई प्रशंसा लाखो-करोड़ो रुपयों से बढकर आनंद देती है और एक कलाकार के प्रसन्न होने से शुक्र भी मुदित होकर अत्यंत शुभफलदायक होते है।
किसी निर्धन कलाकार की धन द्वारा सहायता कर देना, किसी वञ्चित कलाकार की वाद्ययंत्र लेने में सहायता कर देना, वस्त्र-अन्न द्वारा अथवा सामाजिक स्तर पर भी सहायता कर देने से शुक्र ग्रह प्रसन्न होते है और बहुत अच्छे फल देते है।
शुक्र अर्थात उत्तम से उत्तम!
संसार मे जितनी सर्वोत्तम भवन/वाहन/भोजन/वस्त्र/आभूषण जैसी वस्तुएँ है ना ये समस्त वस्तुएँ केवल और केवल शुक्र ग्रह के शुभ फलदायक होने पर ही प्राप्त हो सकती है।
और सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये की उत्तम स्त्री-सुखद अटूट वैवाहिक संबंधों की जीवन मे प्राप्ति भी शुक्र के बलवान होने से ही होती है।
भावबल-चेष्टाबल-दिग्बल से कमज़ोर हुए तथा षडवर्ग में भी अशुभ अवस्था मे गए हुए शुक्र ग्रह इन्ही समस्त वस्तुओं के लिए एक व्यक्ति को जीवनभर रुला देते है।
ऐसे व्यक्ति जिनके शुक्र दुर्बल है और ऐसे लोग टीशर्ट-लोअर में विवाह समारोहों में जा पहुँचते है या नित्य निरंतर स्त्रियों द्वारा अपमानित होते है या नैतिकता से पूरी तरह से भटकते हुए घोर अनैतिक कार्य करते रहते है।
शोचनीय विषय है कि इतने महत्वपूर्ण ग्रह के बारे में बहुत कम लिखा और पूछा जाता है हमारे वाङ्गमय में!
देव गुरु बृहस्पति है तो ये भी दैत्य गुरु शुक्र है जिन्होंने अपने शिष्य दैत्यराज बलि को मृत्यु हो जाने पर भी मृत संजीवनी विद्या द्वारा ना केवल पुनः जीवनदान दिया वरन एक अजेय यज्ञ बलि द्वारा सम्पन्न करवा कर इंद्र पर विजय दिलवायी।