You are currently viewing हम अपने घर के वास्तु के कारण अपने आसपास वैसा माहौल बना लेते हैं जैसी हमारी प्रवृत्ति होती है यही सुख और दुख है यही जीवन की कामयाबी और ना कामयाबी है

हम अपने घर के वास्तु के कारण अपने आसपास वैसा माहौल बना लेते हैं जैसी हमारी प्रवृत्ति होती है यही सुख और दुख है यही जीवन की कामयाबी और ना कामयाबी है

बात कुछ वर्ष पहले की है एक समाज सेवी बहुत बहुत बड़े स्तर पर देश में समाज सेवा के कार्य में निरंतर रहता था और खूब प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहा था 

 देश में इस तरह की समाज सेवा देखकर भारतवर्ष के वह आम आदमी तक जाना जाने लगा

 समाज सेवी संस्थाएं भी उन्हें अपने समाजसेवी कार्यों में सम्मानित अतिथि के रूप में बुलाने लगी 

पर अचानक उनका समाज के प्रति सेवा भावना के कार्यक्रम बंद हो गए किसी भी प्रकार के नए कार्यक्रम उन के माध्यम से देखने को नहीं मिल रहे थे 

अति प्रतिष्ठित व्यक्ति अचानक जैसे किसी अंधेरी की कोठरी में प्रवेश कर गया हो

गत वर्ष मुझे और मेरे मित्रों को उनके शहर में पौधारोपण का कार्यक्रम करना था

तो अपने मित्रों को मैंने उन्हें भी आमंत्रण देने को कहा

सहयोगी टीम के सदस्य जब उन्हें आमंत्रित करने जा रहे थे तो मैंने भी साथ चलने की इच्छा जताई

हम उनके घर गए, देश के बड़े विख्यात शहर मे अच्छे इलाके में एक बड़ी बिल्डिंग की पांचवी मंजिल पर उनका शानदार फ्लोर बहुत खूबसूरत साफ सुथरा और सजा बजा घर तथा महंगे सामान और शीलड़ों से भरा हुआ ड्राइंग रूम देखने को मिला

बातचीत शुरू हुई तो मैंने उनके द्वारा किए गए समाज के प्रति समाजसेवी कार्यों की खूब प्रशंसा की और मैंने  उनके द्वारा किए गए सारे कार्यों के बारे मे उनसे विस्तृत चर्चा की उन्हें यह सब सुनकर अच्छा लगा 

फिर मैंने उनसे पूछा कि आपके द्वारा  पिछले दो वर्षों में कोई भी नया कार्यक्रम देखने को नहीं मिला 

 तो अचानक उनकी ओर से मीडिया सोशल मीडिया, के नए मैटर तथा लोगों के प्रति नकारात्मक नजरिया मिला यानी जिन कारणों से वह इतने मशहूर हुए थे उन्हीं कारणों को लेकर दुखी नजर आ रहे थे 

मैंने उनका पूरा घर देखने की इच्छा जताई ! फोन में कंपास हमेशा मौजूद रहता ही है तो मैंने कंपास के जरिए पूरे घर को देखा 

उनके एक कमरे में शानदार माता का मंदिर मैंने मंदिर में ध्यान लगाया तो पूरी बात समझ में आ गई 

मंदिर में ही बैठा कर मैंने उनसे पूछा कि आपके ऊपर माता की विशेष कृपा है उन्होंने हां कहा, 

फिर मैंने कहा कि आपके किसी स्वर्गवासी बुजुर्ग या घर के बड़े का आपके सर पर हाथ है। वह सपने में भी आते हैं तो उन्होंने कहा मेरे पिताजी बचपन में चले गए थे 

लेकिन अब वह मेरे सपने में आते हैं, जब भी मैं दुखी होता हूं।

फिर मैंने उनसे पूछा कि जाने अनजाने में आपने किसी को धोखा दिया है, पहले वह मानने को तैयार नहीं हुए पर बातों ही बातों में पता चला कि जिन लोगों ने उनको सहयोग देकर यहां तक पहुंचाया था उन लोगों को ही इन्होंने छोड़ दिया 

मैंने उसकी कुंडली भी देखी कुंडली ठीक-ठाक ही थी हालांकि वह थोड़ा महत्वकांक्षी भी थी, यहीं से शुरुआत हुई उसके पतन की 

अब आते हैं इस धोखे का असर क्या हुआ इस धोखे का असर यह हुआ कि जो उसने धन कमाया था, उस से उसने एक बड़ा मकान लिया  और इसके अतिरिक्त कई प्रॉपर्टी भी ली लेकिन वास्तव में अधिकतम नकारात्मक प्रभाव उसके निवास स्थान से प्राप्त हो रहे थे उसने ऐसा मकान लिया जिसमें बहुत बड़ा वास्तु दोष था 

पूरा घर उत्तर पूर्व साइड से बंद, उत्तर साइड में सीढ़ियां और लिफ्ट, छत पर उत्तर साइड में टावर और पानी की टंकियां, दक्षिण पश्चिम साइड नीचा, 

बेडरूम अग्नि कोण में, अग्नि कोण में एक बड़ा सा आईना लगा हुआ, रसोई गलत, 

दक्षिण और पश्चिम साइड से धूप और हवा घर पूरा खुला हुआ, जैसे ही उसके जीवन में पाप आया तो जीवन में फैसले गलत हुए, 

मैंने उनसे पूछा कि कुछ वर्ष पहले से  आपने नॉनवेज खाना शुरू किया उन्होंने माना कि लेकिन उन्होंने साथ ही अंडे खाने की बात कही 

हालांकि उनकी जन्म कुंडली के अनुसार उन्हें नहीं खाना चाहिए था, 

मैंने उनकी नींद के बारे में भी बताया कि आप बहुत लेट सोते हो और बहुत लेट उठते हो तो उसने कहा कि मैं रात को 2:00 से 3:00 बजे के करीब सोता हूं और सुबह 11:00 बजे के आसपास उठता हू, उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि यह तो आजकल के वर्तमान का सभी का लाइफ स्टाइल है

पर उन्हें नहीं पता था कि सब वास्तु करवा रहा था उसने अपने आसपास ऐसा भौतिक संसार इकट्ठा कर लिया  जिसमें नेगेटिव सोच आने लगी, नेगेटिव वाइब्रेशन आने लगी, उस घर के वाइब्रेशन ने उस घर के वास्तु ने उन्हें उनकी प्रतिष्ठा को एक तरह से बर्बाद करने की ओर अग्रसर कर रखा था

माता की अपार कृपा होते हुए, पितृकृपा होते हुए भी वह सारी कृपा रुक गई, कोई भी देव या पित्र आपकी सेवा का पुण्य तो आपको देते हैं पर जब तक आप कोई उधार या धोखे का मोल नहीं चुका देते 

तब तक उसका फल नहीं मिलता और हमारे आसपास हर चीज नेगेटिव या नुकसान देने वाली आ जाती है 

और हम लगातार अपने पतन के बावजूद भी खुद को सही और लोगों को गलत कहते रहते हैं 

जितने भी पहले  कामयाब लोग रहे और अब पतन की ओर जा रहे हैं तो उनके आसपास बहुत नेगटिव वस्तुएं होंगी 

उनका मकान, उनके ऑफिस का कुछ सामान, बहुत छोटी-छोटी वस्तुएं, कपड़े जूतों से लेकर पहने हुए नग बर्तन, छत पर रखा समान, जहां बैठते हैं उसके आसपास की सब चीज ऐसी होंगी जो नेगेटिव वाइब्रेशन दे रही होंगी 

पर वह उन्हें अपने पास पास इकट्ठा करते रहेंगे और साथ ही धीरे-धीरे डाउन होते रहेंगे 

यह बड़ा शानदार फुटबॉल के खेल जैसा है जिसे समझ आ गया वह खिलाड़ी और जिसे ना समझाया वह फुटबॉल।

केवल अगर घर के वास्तु और अपने आसपास बहुत उच्च कोटि की उर्जा देने वाली वस्तुओं को स्थापित कर दिया जाए तो 

वह भी हमारी बुद्धि को ठीक कर देती हैं, फैसले सही कर देती हैं, शरीर में ऊर्जा भर देती हैं और तब हमें सही गलत का एहसास होता है और हम किए हुए गलत कार्यों कि या तो माफी मांग लेते हैं या उनका मूल्य चुका देते हैं जीवन फिर सरल हो जाता है

पर सबसे बड़ी बात ऐसे लोग जो नकारात्मक वास्तु और नकारात्मक ऊर्जा के बीच में रहते हैं वह सदैव डाउन होते रहेंगे, पराजित होते रहेंगे पर मानेंगे नहीं, क्योंकि नकारात्मक ऊर्जा उन्हें आसानी से सकारात्मकता की ओर जाने नहीं देगी

इन पर भूमि का आसपास की वस्तुओं का इतना दबाव होगा, देवों से पितरों से तथा अपनों से किए हुए अधूरे तथा झूठे कमिटमेंट इनके दिमाग पर इतने हावी होंगे कि सब कुछ गलत सोचते और करते हुए भी यह खुद को सही मानेंगे 

सारे पाप और पुण्य आपकी प्रवृत्ति बनते हैं। प्रवृत्ति फैसलों में बदलती है 

हमारे आस पास हर चीज कंपन और स्पंदन करती है उसका हम पर बहुत असर पड़ता है चाहे वह भूमि हो, घर हो, छोटी से छोटी वस्तु हो, 

तब हम अपने आसपास वैसा माहौल बना लेते हैं जैसी हमारी प्रवृत्ति होती है यही सुख और दुख है यही जीवन की कामयाबी और ना कामयाबी है

Leave a Reply