शारदीय नवरात्रि घट (कलश) स्थापना मुहूर्त एवं पूजाविधि
प्रतिवर्ष की भांति इसवर्ष भी हिंदुओ के प्रमुख त्योहारो में से एक शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाएगा। इस नवरात्रि मां जगदंबा घोड़े पर आएंगी और भैसे पर बैठकर जाएंगी ।
गुरुवार के दिन चित्रा नक्षत्र में यदि देवी आराधना का पर्व शुरू हो, तो यह देवीकृपा व इष्ट साधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। देवी भागवत में नवरात्रि के प्रारंभ व समापन के वार अनुसार माताजी के आगमन प्रस्थान के वाहन इस प्रकार बताए गए हैं।
आगमन वाहन
“शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥”
रविवार व सोमवार को हाथी, शनिवार व मंगलवार को घोड़ा, गुरुवार व शुक्रवार को पालकी, बुधवार को नौका आगमन।
इस साल शारदीय नवरात्रि शनिवार से प्रारंभ हो रही हैं इसके अनुसार देवी मां डोली में विराजकर कैलाश से धरती पर आ रही हैं।
प्रस्थान वाहन
रविवार व सोमवार भैंसा,
शनिवार और मंगलवार को सिंह,
बुधवार व शुक्रवार को गज हाथी,
गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान
इस वर्ष मातारानी नर वाहन पर प्रस्थान करेंगी।
साधक भाई बहन जो ब्राह्मण द्वारा पूजन करवाने में असमर्थ है एवं जो सामर्थ्यवान होने पर भी समयाभाव के कारण पूजा नही कर पाते उनके लिये पंचोपचार विधि द्वारा सम्पूर्ण पूजन विधि बताई जा रही है आशा है आप सभी साधक इसका लाभ उठाकर माता के कृपा पात्र बनेंगे।
घट स्थापना एवं माँ दुर्गा पूजन शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में घट स्थापना का बहुत महत्त्व होता है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है। घट स्थापना प्रतिपदा तिथि में कर लेनी चाहिए। इसे कलश स्थापना भी कहते है।
कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु , गले में रूद्र , मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।
7 अक्टूबर को दिन 01:45 बजे तक प्रतिपदा तिथि रहेगी। रात्रि 09:11 बजे तक चित्रा नश्रत्र रहेगा। चित्रा नक्षत्र वैधृति योग रहित अभिजित मुहूर्त, द्विस्वभाव लग्न में कलश स्थापना शुभ मानी जाती है। परन्तु इस वर्ष चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग सम्पूर्ण दिन रहेगी इसलिये साधक गण अभिजीत मुहूर्त में ही घटस्थापना करें जिन्हें इस समय घटस्थापना करने में असुविधा हो वो लोग प्रातः कन्या लग्न में
सुबह 6:15 से 07:05 बजे तक कलश स्थापना (जौ बोना) आदि कार्य सम्पन्न कर लें । ये समय सभी तरह से दोष मुक्त तो नही फिर भी कन्या लग्न होने से आंशिक दोषमुक्त है। इसके बाद दोपहर अभिजित मुहूर्त 11:41 से 12:27 तक रहेगा इस वर्ष इस समय घटस्थापना करना अधिक शुभ रहेगा।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 06, 2021 को दिन 16:33 बजे से।
प्रतिपदा तिथि समाप्त – अक्टूबर 07, को 13:45 बजे तक।
चित्रा नक्षत्र प्रारम्भ – अक्टूबर 06, को 23:19 बजे से।
चित्रा नक्षत्र समाप्त – अक्टूबर 07, को 21:11 बजे तक।
वैधृति योग प्रारम्भ – अक्टूबर 06, को 29:11 बजे से।
वैधृति योग समाप्त – अक्टूबर 07, को 25:50 बजे तक।
कन्या लग्न प्रारम्भ – अक्टूबर 07 को 06:15 बजे से।
कन्या लग्न समाप्त – अक्टूबर 07, को 07:05 बजे तक।
नवरात्रि की तिथियाँ
पहला नवरात्र – प्रथमा तिथि 7 अक्टूबर 2021, गुरूवार, वैधृति योग माँ शैलपुत्री की उपासना।
दूसरा नवरात्र – द्वितीया तिथि, 8 अक्टूबर, शुक्रवार, रवि योग, माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना।
तीसरा नवरात्र – तृतीया तिथि, 9 अक्टूबर, शनिवार, रवि योग, माँ चंद्रघंटा की उपासना।
चौथा नवरात्र – चतुर्थी तिथि क्षय,
10 अक्टूबर, रविवार, सौभाग्य और रवि योग, माँ कुष्मांडा की उपासना।
पांचवां नवरात्र – पंचमी तिथि, 10 अक्टूबर, रविवार, रवि और सौभाग्य योग, माँ स्कन्द जी की उपासना।
छठा नवरात्र – षष्ठी तिथि,
12 अक्टूबर, मंगलवार, शोभन योग, माँ कात्यायनी की उपासना।
सातवां नवरात्र – सप्तमी तिथि,
13 अक्टूबर, बुधवार, सुकर्मा योग, माँ कालरात्रि की उपासना।
आठवां नवरात्र – अष्टमी तिथि, 14 अक्टूबर, गुरूवार, धृति योग, माँ महागौरी की उपासना।
नौवां नवरात्र – नवमी तिथि,15 अक्टूबर, शुक्रवार, रवि योग माँ सिद्धिदात्री की उपासना।
दशहरा – दशमी तिथि, 15 अक्तूबर 2021, शुक्रवार।