You are currently viewing वास्तु सिद्धांत व प्रकृति नियम की पालना से मधुमेह रोग उपचार

वास्तु सिद्धांत व प्रकृति नियम की पालना से मधुमेह रोग उपचार

वास्तु सिद्धांतों की पालना से मधुमेह रोग उपचार 

वास्तु शास्त्र जीवन में पंच महाभूतो को संतुलित कर सुखमय जीवन जीने की एक विधा है | वास्तु के सिद्धांतो को दैनिक जीवन में अपनाकर मनुष्य सभी प्रकार की समस्याएँ दूर सकता है | आज हम चर्चा करेंगे की राजसी रोग शुगर अर्थात मधुमेह को वास्तु के सिद्धांतों के माध्यम से कैसे निवारण किया जा सकता है|

आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह। शुगर को धीमी मौत भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही किसी किसी को होती थी लेकिन आजकल तो बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है।

मधुमेह कैसे होता है

जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।

यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है। पहली श्रेणी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान है और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।

आइये जानते वास्तु में किस स्थान पर दोष होने पर यह रोग घर करता है |

बिलकुल स्पष्ट है की घर या भूखंड के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में यदि कूआ, जल, बोरिंग या भूमिगत पानी का स्थान मधुमेह रोग को बढ़ावा देता है |

नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में हरियाली बगीचा या छोटे छोटे पौधे भी शुगर का माध्यम बनता है |

घर, भवन का नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) बड़ा हुआ हो तो वो भी शुगर का कारक बनता है |

यदि नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) भाग सबसे छोटा या सिकुड़ा हुआ हो तो भी मधुमेह की संभावना बढती है |

नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में सीवर का गड्डा भी शुगर को निमंत्रण देता है |

ब्रहम स्थान अर्थात् घर का मध्य भाग भरी हो तथा घर के मध्य में अधिक लोहे का प्रयोग हो या ब्रहम भाग से सीडिया ऊपर की ओर जा रही हो तो समझ ले की शुगर का घर में आगमन होने जा रहा है | अर्थात नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) यदि आपने सुधार लिया है तो काफी हद तक आप इस असाध्य रोग से मुक्त हो जायेगे |

अपने बेडरूम में कभी भी भूल कर खाना न खाएं |

अपने बेडरूम में जुते, चप्पल बिलकुल भी न रखे .

मिटटी के घड़े का पानी का इस्तेमाल करे तथा घड़े में रोज 7 तुलसी के पत्ते डाल कर प्रयोग करें |

दिन में एक बार अपनी माँ का बना खाना जरुर खाएं |

हर मंगलवार को अपने दोस्तों को मिष्ठान जरुर दें |

रविवार को उगते सूर्य को जल दे कर बंदरों को गुड खिलाये तो आप स्वयं अनुभव करेंगे की शुगर से आप कितनी जल्दी निजात पा रहे है |

ईशान कोण से सभी लोहे की वस्तुए हटा ले

हल्दी की गाँठ लेकर एक चम्मच हल्दी सिल बट्टे से पीसकर खली पेट लेने से भी मधुमेह से मुक्ति मिलती है 

अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और शारीरिक श्रम करना शुरू करें। जिम नहीं जाना चाहते हैं तो दिन में तीन से चार किलोमीटर तक जरूर पैदल चलें या फिर योग करें।

कम कैलोरी वाला भोजन खाएं। भोजन में मीठे को बिलकुल खत्म कर दें।

धूम्रपान और शराब का सेवन कम कर दें या संभव हो तो बिलकुल छोड़ दें।

आफिस के काम की ज्यादा टेंशन नहीं रखें और रात को पर्याप्त नींद लें। कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं है। तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान लगाएं या संगीत आदि सुनें।

 

प्रकृति व पंचगव्य औषधि प्राप्त करने के लिए भी संपर्क करें 

शिव योगी सुनील  9050090511

Leave a Reply