वास्तु का अर्थ
प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए जाने यंत्र का संग्रह
प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए विविध प्राकृतिक बलों जैसे जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश के बीच परस्पर क्रिया होती है, जिसका प्रभाव पृथ्वी पर रहने वाली मनुष्य जाति के अलावा अन्य प्राणियों पर पड़ता है। इन पांच तत्वों के बीच होने वाली परस्पर क्रिया को वास्तु के नाम से जाना जाता है। वास्तु ज्योतिष के अनुसार इस प्रक्रिया का प्रभाव हमारे कार्य प्रदर्शन, स्वभाव, भाग्य एवं जीवन के अन्य पहलुओं पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र आपके आस पास की महान परिशोध है एवं यह आपके जीवन को प्रभावित करता है।
वास्तु शास्त्र कुछ नहीं है, लेकिन कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है। इसके अतिरिक्त यह कहा जा सकता है कि यह एक बहुत सदियों पुराना रहस्यवादी नियोजन का विज्ञान, चित्र नमूना एवं अंत निर्माण है। वास्तु का सही अर्थ है चारों दिशाओं से मिलने वाली ऊर्जा तरंगों का संतुलन, लेकिन कई बार इन तरंगों के असंतुलन से कई दुष्परिणाम सामने आते हैं। तरंगों के असंतुलन के चलते व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आईए जानते हैं वास्तु के कुछ एेसे उपाय जिस से इसके दुष्परिणामों से बचा जा सकता है।
वास्तु दोष निवारण यंत्र
सम्पूर्ण वास्तु दोष निवारण यंत्र विभिन्न उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया हैं। इसमें 13 यंत्र होते है- वास्तु दोष निवारण यंत्र, बगलामुखी यंत्र, गायत्री यंत्र, महामृत्युंजय यंत्र, महाकाली यंत्र, वास्तु महायंत्र, केतु यंत्र, राहु यंत्र, शनि यंत्र, मंगल यंत्र, कुबेर यंत्र, श्री यंत्र, गणपति यंत्र। इन सभी यंत्रों का उपयोग हमारे जीवन में संतुलन और हमारे बाहरी और आंतरिक वास्तु में सामंजस्य बनाए रखता है और इस प्रकार हमारे जीवन में अधिक से अधिक खुशियां बनी रहती हैं।
वास्तु पूजा
वास्तु यंत्र के साथ-साथ वास्तु पुरुष, ब्रह्मा, विष्णु, महेश की पूजा करके, अन्य सभी देवताओं और देवियों की पूजा की जाती हैं। वास्तु पूजा से वातावरण में फैली हुई सभी बाधाओं को खत्म किया जा सकता है। वास्तु अनहोनी, नुकसान और दुर्भाग्य से भी बचाता है। ये घर के साथ-साथ काम के स्थान पर भी उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापित किया जा सकता हैं।
वास्तु दोष निवारण यंत्र की पूजा
सबसे पहले नहा-धोकर अपने मन को शांत करें। ये सुनिश्चित कर लें कि यंत्र इस प्रकार रखा हो की आप का मुंह पूर्व दिशा की ओर हो। वास्तु दोष निवारण यंत्र के आगे दीया जला दें, अगर हो सके तो यंत्र के आगे 2-3 ताजा फूल रख लें।
बीज मंत्र
बीज मंत्र जो वास्तु दोष निवारण यंत्र के साथ पढ़ा जाता है।
“ओम आकर्षय महादेवी राम राम प्रियं हे त्रिपुरे देवदेवेषि तुभ्यं दश्यमि यंचितम “
21 बार बीज मंत्र का जाप करें जो यंत्र के साथ मिला हो। इसका हिंदी या इंग्लिश में भी उच्चारण किया जा सकता है।
वास्तु दोष निवारण यंत्र का महत्व
वास्तु दोष निवारण यंत्र बहुत ही शक्तिशाली यंत्र होता हैं। ये यंत्र वास्तु दोष के कारण उत्पन्न होने वाले हानिकारक प्रभावों से निपटने के लिए बहुत प्रभावशाली होता हैं। वास्तु दोष निवारण यंत्र एक ऐसा यंत्र है जो सभी पांच तत्वों-पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और अंतरिक्ष के बीच संतुलन बनाकर हमारे घर और काम के स्थान पर समृद्धि, मानसिक शांति, खुशी और सामंजस्य को प्राप्त करने में मदद करता हैं। यह यंत्र न केवल सभी निहित वास्तु दोष का इलाज करके उनके बुरे प्रभावों को दूर करने में मदद करता है, बल्कि सकारात्मक और लाभदायक प्रभाव को भी उत्पन्न करता है।