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ताजा हरा सिंघाड़ा अति पोस्टिक

हमारी भारतीय आहार विज्ञान की पालन करने की परंपरा में ऋतुनुसार आहार विहार करके स्वस्थ जीवन जीने के नियम का पालन करना चाहिए…

सिंघाड़ा जलीय वनस्पति के दलदल, तालाबों में होता है, जो मुख्यतः ठण्ड के मौसम में होता है. सितम्बर से जनवरी तक ये फल भारत में मिलता है.

सिंघाड़ा एक बहुत पौष्टिक फल है, जिसके बहुत से स्वास्थ्यवर्धक लाभ है. इसमें पानी की अत्याधिक मात्रा होती है, इसमें कैलोरी कम होती है, साथ ही ये फैट फ्री होता है. 

सिंघाड़े को कई तरह से खाया जाता है, इसका छिलका उतारकर ऐसे ही कच्चा खा सकते है, या इसे उबालकर फिर छीलकर खा सकते है. 

इसे उबालकर आलू की सब्जी जैसे बनाकर भी खाया जाता है. सिंघाड़ा भारत में आसानी से बाजारों में मिलता है, वैसे सिंघाड़ा 3-4 महीने ही आता है, लेकिन इसका आटा साल भर आता है, जिसका उपयोग व्रत के खाने में किया जाता है. सिंघाड़े को सुखाकर उसको पीस कर आटा बनता है, जिससे तरह तरह की रेसिपी बनती है.

सिंघाड़ा में मौजूद पोषक तत्व: (100 ग्राम में)

पानी 48.2 gm/प्रोटीन 3.4 gm/फैट 0.2 gm/कार्बोहाइड्रेट 32.1 gm/शुगर 3.3 gm/एनर्जी (Energy) 730/डाइटरी फाइबर 14.9 gm/कैल्शियम 17.6 mg/जिंक 0.4 mg/आयरन 0.7 mgपोटेशियम 468 mg/सोडियम 0.8 mg.

इसके अलावा इसमें आयोडीन, मैग्नीशियम, विटामिन B एवं C, फोस्फोरस भी होता है.

सिंघाड़े के स्वास्थ्यवर्धक लाभः

सिंघाड़े का स्वाद हल्का मीठा होता है, इससे कुछ आयुर्वेदिक दवाईयां भी बनाई जाती है.

इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं मिनिरल्स की अधिकता होती है. आयुर्वेद के अनुसार सिंघाड़े में भैंस के दूध की अपेक्षा 22 % ज्यादा मिनिरल्स होते है. सिंघाड़ा भारत में होता है, इसका उपयोग आयुर्वेद में होता है, जिससे बहुत सी बीमारियों का इलाज होता है. इससे डायबटीज, अलसर और हार्ट की परेशानी दूर होती है. 

सिंघाड़ा में कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक होता है, इसे खाते ही शरीर में एनर्जी आती है. 100 gm सिंघाड़ा खाने से शरीर को 115 कैलोरी मिलती है.

इसमें आयोडीन, मैगनीज एवं दूसरे मिनिरल्स होते है, जिससे ये शरीर में थाइराइड कम करने में सहायक होता है.

इसमें एंटीओक्सिडेंट होते है, जो शरीर में सर्दी, खांसी कफ को कम करता है. सिंघाड़े के आटे को पानी के साथ दिन में 2 बार खायें, यह प्राकतिक उपचार है, जो कफ में तुरंत आराम देता है. 

प्रेगनेंसी के समय सिंघाड़ा महिला के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है. ये गर्भ को सही पोषण देता है, साथ ही गर्भाशय की रक्षा करता है, जिससे गर्भपात का खतरा कम होता है.

सिंघाड़ा में मिनिरल्स, मैगनीज और विटामिन होता है, जिससे ये फटी एड़ियों की समस्या को दूर करता है, और एड़ियाँ जल्दी भरने लगती है.

सिंघाड़ा में पानी की मात्रा अधिक होती है, इसका आटा रेगुलर खाने से वजन बढ़ाने में आसानी होती है.

सिंघाड़ा शरीर के लिए एक उत्कृष्ट शीतलक के रूप में कार्य करता है. ये शरीर में लार और प्यास को बढाता है.

दस्त लगने पर सिंघाड़ा खाने से आराम मिलता है. सिंघाड़ा का रस दस्त और पेचिश नियंत्रित करने के लिए सहायक है. 

इसमें डीटोक्सीफाइंग प्रॉपर्टीज होती है, जिससे पीलिया के रोगी को इससे खाने से फायदा मिलता है. पीलिया रोगी इसे ऐसे ही या जूस रूप में ले सकता है. यह शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को हटाने के लिए एक उत्कृष्ट टॉनिक के रूप में कार्य करता है. सिंघाड़ा में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, कैंसर विरोधी और एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज होती है.

सिंघाड़ा यूरिन इन्फेक्शन की समस्या को भी दूर करने में सहायक है.

सिंघाड़ा खाने से पेट की समस्या जैसे अपच, गैस, एसिडिटी दूर होती है. पेट की समस्या के समाधान के लिए सिंघाड़ा को प्राकतिक उपचार माना जाता है. सिंघाड़ा का पाउडर आंतों के लिए और आंतरिक गर्मी को हटाने के लिए फायदेमंद है, साथ ही पित्त, कब्ज की समस्या भी हल होती है.

सिंघाड़ा खाने से बच्चों एवं बड़ों में भूख न लगने की समस्या दूर होती है.

सिंघाड़ा खाने से शरीर में खून बढ़ता है, क्यूंकि इसमें आयरन अधिक होता है.

इसे खाने से जी मचलाना, अनिद्रा, मुहं का स्वाद ख़राब लगना, थकान की समस्या दूर होती है, साथ ही ये पेट को मजबूत करता है. सिंघाड़े का जूस गले में खराश, एनीमिया एवं कुष्ठ रोग भी दूर करता है.

सिंघाड़े खाने से शरीर के अंदर के विषेले पदार्थ निकलते है, जिससे खून साफ होता है और ग्लोइंग, सुंदर त्वचा मिलती है.

सिंघाड़ा खसरा की परेशानी दूर करता है. सिंघाड़े को जिस पानी में उबला जाता है, खसरा रोगी को वो पानी पीना चाहिए, ये बहुत फायदेमंद होता है. लगातार 8-9 दिन ये पानी पीने से लाभ मिलता है.

ठण्ड के दिनों में सिंघाड़ा रोज खाने से बेजान त्वचा चमक जाती है, ड्राईनेस दूर होती है.

सिंघाड़ा को पीस कर पेस्ट के रूप में, दर्द, सूजन वाले स्थान में लगाने से आराम मिलता है. इससे दर्द के साथ साथ सुजन भी कम होती है.

खुजली की समस्या से निजात पाने के लिए सिंघाड़े के आटे में नीम्बू के रस को मिलाकर लगायें, जल्द आराम मिलेगा.

सुंदर, लम्बे, घने बाल पाना हर लड़की का सपना होता है. जिस तरह शरीर के बाकि हिस्सों को पोषक तत्व की जरूरत होती है, उसी तरह बालों को भी पोषण की जरूरत होती है.

सिंघाड़े में तरह तरह के पोषक तत्व जैसे पोटेशियम, जिंक, विटामिन होता है, ये शरीर के अंदर से विषेले तत्व बाहर निकालते है, जिससे हमारे बालों को खतरा होता है. इस प्रकार सिंघाड़े के पोषक तत्व, स्वस्थ बालों के लिए सहायक होते है.

सिंघाड़े ज्यादा खाने के नुकसान:

जरूरत से ज्यादा सिंघाड़ा खाने से पाचनतंत्र ख़राब होता है. ज्यादा सिंघाड़ा खाने से पेट दर्द, आँतों की सूजन हो जाती है. सिंघाड़ा खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए, इससे सर्दी खांसी की समस्या होती है.

सिंघाड़ा के उपयोग –

सिंघाड़ा उबालकर फल या सलाद के रूप में खाया जाता है.

सिंघाड़ा का आटा का उपयोग व्रत के खाने में करते है, भारत में नवरात्री, शिवरात्रि, एकादशी आदि व्रत में इसके द्वारा बनाये गए पकवान खाते हैं. 

सिंघाड़े के आटे से भजिये, आलू बंडे, मिठाई, हलुआ, लड्डू आदि बनाया जाता है.

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