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#दिव्यांग_भूमि – अर्थात किसी दिशा का बढ़ा हुआ या घटा हुआ भाग

#दिव्यांग_भूमि – 

#दिव्यांग_भूमि का अर्थ होता है वह दिव्य अंग जिसका प्रभाव शरीर या भूमि पर अधिक हो – किसी एक विशेष अंग – दिशा कटाव या कम होने से 

अर्थात ईश्वर द्वारा सृजित ऐसी भूमि की कृति जिसमें खाश हुनर अर्थात एक अलग विशेषता छिपी होती है 

और जिसकी पहचान करने की जिम्मेदारी ईश्वर ने समाज के कुछ विशेष- जागरूक वास्तु विद्वानों को 

दी है। 

यह सब उन वास्तु विद्वानों को 

 गुरु के आशीर्वाद और अथक. दैवीय साधना, विद्या अभ्यास-हुनर के सहयोग से मिलता हैं 

इन वास्तु विद्वानों के माध्यम से

दिव्यांग भूमि से संबंधित हर प्रकार

 की सकारात्मक जानकारी आम जनमानस को भूमि का सटीक सकारात्मक आंकलन कर उस घर व सभी सदस्यों के जीवन में एक विशेष खुशी और एक नई उच्च उड़ान भरने का कार्य करती है 

और इस उड़ान से वह परिवार और उस परिवार में रहने वाला हर सदस्य समाज में एक अलग पहचान उच्च पद और मंजिल को प्राप्त करता है।

देश के सभी वास्तु विद्वानों को 

सामाजिक प्राणी होने के नाते और समाज का एक अभिन्न अंग और एक विशेष पद पर होने के नाते – अपनी पूर्ण क्षमता अनुसार दिव्यांग भूमि से संबंधित परिवारों को 

एक अच्छा और सटीक मार्गदर्शन कर व सही संसाधन उपलब्ध करवाकर दिव्यांग भूमि की विशेषता उन सभी के बीच में सार्वजनिक करनी चाहिए। 

उन सभी वास्तु विद्वानों को जिन्हें यह दिव्य कृपया प्राप्त है शिक्षा व व्यवहारिक कार्यशाला और प्रतियोगिता का आयोजन कर 

जिसमें दिव्यांग भूमि कैसे जनमानस को अपने विशेष गुण. द्वारा अनुपम लाभ का प्रदान कर सकती है का ज्ञान बेशक अर्थ की प्राप्ति करके ही उसे सार्वजनिक करना ही मुख्य उद्देश्य रखना चाहिए 

 सभी वास्तु विद्वानों को दिव्यांग भूमि कैसे सकारात्मक फल दे सकती है यह सब सीखना चाहिए कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में भी दिव्यांग भूमि की दिव्यता उन जरूरतमंद लोगों को जरूर बतानी चाहिए जिनके बारे में यह दिव्यांग भूमि उन्हें उनके कार्मिक और भाग्य नुसार मिली है 

जिससे वह भी अपने संपूर्ण परिवार सहित संपूर्ण स्वास्थ्य और हर प्रकार खुशी को प्राप्त कर सकें

मेरी भू देव- ईश्वर से प्रार्थना है कि अपनी कृपा हम सबके ऊपर बराबर बरसायें न कि कम ज्यादा। 

सकारात्मक ऊर्जा एक सामाजिक न्याय के अंतर्गत ईश्वर के द्वारा एक विशेष कृपा के आधार पर मिलती है

 जिसके लिए सबसे पहले दिव्य कृपा प्राप्त वास्तु विद्वान को और दिव्यांग भूमि संबंधित परिवार को ईश्वर धन्यवाद करना चाहिए। 

दिव्यांग भूमि की विशेषता को जानने व यह सब सीखने के लिए आप सब आमंत्रित हैं एक विशेष कार्यशाला में

कार्यशाला की तिथि / माह सभी भागीदारों की संख्या पर निर्भर करेगी

के अंतर्गत आती हैं 

लेखक: – सुनील कुमार आर्यन 

लेखक :- यह सब अपने अनुभव आधार पर आप सबके बीच में रख रहा है सभी विद्वान इस अनुभव के समर्थित हो लेखक ऐसी आकांक्षा नहीं रखता लेकिन अनुभव की सटीकता सबके समक्ष रखने के प्रयास जारी रखना चाहता है

#जयहिंद #जयभारत #

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