क्या शरीर या घर में तत्वो के गड़बड़ होने से भी कर्म की सिद्धि नही हो सकती – जी हाँ
5 तत्वो में से आकाश और पृथ्वी तत्व को छोड़ दे तो बाकी बचे तीन तत्व अग्नि, वायु और जल । जो रजस , सतव और तमस त्रिगुण है , जिनसे सब कुछ गतिमान है । और मानव #स्व-भाव और #प्रकृति भी इन्ही 3 के गुण के अनुसार ही होती है ।
हर किसी के शरीर में इन्ही 3 तत्वो का समन्वय होता है , जिनका मुख्यत प्रयोग #आयुर्वेद में इक वैद नाड़ी देख के करते है की शरीर में किस तत्व की गड़बड़ी है, ताकि मरीज के प्रकृति के अनुसार ही उपचार दी जा सके।
मोटापा या पेट (जल तत्व) , चर्बी का बढ़ना यानि #जल तत्व की अधिकता , जो #पृथ्वी तत्व को बहा / काट सकती है , पृथ्वी तत्व से ही stability आती है । मोटापे के बढ़ने से आलस आता है , जिसके कारण कर्म में कमी आती है जिसका परिणाम 0 / सन्नाटा
वास्तु की बात करे तो जल की दिशा में भी कोई न कोई वास्तुदोष देखने को मिलता है । या पृथ्वी तत्व की दिशा में जल तत्व किशि न किसी रूप में मिलता ही है ।